” साहब, जाना तो बनता ही था. सब जाते हैं, तो हमें भी जाना ही था. बचपन से यही सुनते आये, कि हमारे मामू जान बाहर से कितने पैसे कमा कर यहाँ लाते हैं. हमारे लिए वो अनेक तोहफे भी लेके आते. ऐसा लगता मानो यही ज़िन्दगी है. मैं और मेरे तीनो भाइयों के लिए वो सलमान खान से कम ना थे.
मामू जान के किस्से सुनके हम सब बड़े हो रहे थे. अम्मी जान को वो हर महीने पैसे भेजते और इसी से हमारा घर चलता. अम्मी भी हमें अपने मामू की तरह बनने की हिदायत देती. हमारी ज़िन्दगी का केवल एक मकसद था. अपने मामू की तरह बनना.
मामू जान वो इंसान थे जिनसे हम सबको अपने से ज्यादा उम्मीद थी. कहते हैं उम्मीद पे दुनिया कायम है, और उस दिन मामू जान ने अम्मी से मुझे दुबई ले जानी की इज़ाज़त ले ली. मेरी तो मानो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैं सपने देखने लगा था. मुझे एक हसीं ज़िन्दगी की ख्वाइश अंदर ही अंदर सच होती दिखाई दे रही थी.
मगर मुझे क्या मालूम था, कि जिसे मैं हसीं ज़िन्दगी समझ रहा था, वो एक ऐसी खाई थी जिसमें एक बार गिर कर बाहर निकलना नामुमकिन था. दुबई पहुँचते ही मैं मामू जान की दूकान पे काम करने लगा. कभी कभी वो मुझे एक पैकिट लेके कुछ लोगों को देने के लिए कहते और मैं अपने हीरो की बात बिना सोचे समझे मान लेता.
एक दिन वही पैकिट देने जाते समें मुझे पुलिस ने पकड़ लिया. मेरे कागज़ात मांगे जो मैंने उन्हें दिखा दिए. फिर वो मुझे पुलिस स्टेशन ले गए और मेरे सामने वो पैकिट खोला. एक सफ़ेद रंग का पाउडर देख उनका शख सच में तब्दील हो गया.
तीन घंटो तक वो मुझे मारते रहे और मेरे कई बार मना करने पे कि मुझे इन ड्रग्स के बारे में कुछ नहीं पता था और ये कि ये पैकिट मेरे मामू ने मुझे देने को कहा था, उन्होंने मेरी कोई बात ना सुनी. तीन घंटे बाद जब मैं मार खाके बिलकुल बेजान हो गया, तब उन्होंने मेरे दिए गए नंबर पे कॉल किया.
उधर मेरे मामू जान ये खबर सुनके फरार हो गए. मेरे दिए हुए नंबर को किसी ने नहीं उठाया. अपने खिलाफ सारे सबूत होने कि वजह से कोर्ट ने मुझे सजा सुना दी. मेरा पासपोर्ट भी मेरे पास ना था. और किसी ने मेरी कोई मदद नहीं करी.
आज आप पहले इंसान हो, जिसने मुझे एक हिंदुस्तानी होने का एहसास दिलाया है. मेरे जैसे यहाँ बहुत से ऐसे लोग है जो अपनी ज़िन्दगी गुमनामी में गुज़ार रहे हैं. कोई मामू के कहने पे तो कोई चाचा के कहने पे यहाँ आया और यहाँ आके बुरा फस गया.
कहते हैं ख्वाब देखना अच्छी बात होती है, लेकिन अगर ख्वाबों का ये अंजाम होता है, तो मैं किसी को ख्वाब देखने की हिदायत नहीं दूंगा. मुझे पता है कि आप भी मुझे शक की नज़रों से देख रहे हैं. आये तो थे आप ड्रग्स का सच जानने, अब आप को ऐसा लग रहा होगा कि मैं आपको अपनी दुःख भरी दास्ताँ क्यों सुना रहा हूँ.
हो सके तो आप मेरी बातों पे भरोसा कर, मेरे जैसे बेगुनाह लोगों को यहाँ से छुड़ाने की कोशिश ज़रूर कीजियेगा. अल्लाह हाफ़िज़. ”
If you are wondering who this guy is, he is one among the many who are lured by the thought of making a wonderful life for themselves. He is one among the innocent and impoverished lot who don’t have a clue what they are getting into. He is one among the many who want to lead a normal life just like ourselves but are never given a chance, instead are used by many and then thrown out into the dungeons of a world which you would never want to get into.
There are many like him, who are languishing behind bars and have lost all hopes from the beautiful life that God has bestowed upon them. I don’t know where these people will find that one ray of hope from. But I am hopeful that someday guys like him would surely get justice and will be given a chance to lead a happy and peaceful life which they had all dreamt of as a kid.
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